शादी संगीत के दौरान डांस करते वक्त जवान युवती की मौत, जानिए कैसे आया हार्ट अटैक, डॉ ने बताई ये वजह
शादी संगीत के दौरान डांस करते वक्त जवान युवती की मौत, जानिए कैसे आया हार्ट अटैक, डॉ ने बताई ये वजह

रायसेन जिले के सांची क्षेत्र में एक बेहद दिल दहला देने वाली घटना घटी है, जिसमें एक युवती की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। यह घटना उस वक्त हुई जब युवती अपनी कज़िन सिस्टर की शादी में डांस कर रही थी।
मृतक युवती का नाम परिणीता जैन बताया जा रहा है, और यह घटना सांची के मगधम रिसोर्ट में आयोजित महिला संगीत कार्यक्रम के दौरान घटी।
कज़िन की शादी में भाग लेने आई थी परिणीता
परिणीता जैन, जो इंदौर की निवासी थीं, अपनी कज़िन सिस्टर की शादी में भाग लेने के लिए विदिशा आई थीं। विदिशा से कुछ दूर सांची के मगधम रिसोर्ट में महिला संगीत समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें परिणीता भी शामिल हुई थीं। यह आयोजन शादी के पारंपरिक रस्मों का हिस्सा था, और इस दौरान वहां संगीत, नृत्य और खुशी का माहौल था।
डांस करते वक्त आई हार्ट अटैक
महिला संगीत के दौरान परिणीता मंच पर नाच रही थीं। नृत्य करते हुए अचानक वे मंच पर गिर पड़ीं। शुरुआत में किसी को समझ में नहीं आया कि क्या हुआ, लेकिन बाद में यह पता चला कि परिणीता को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद तुरंत ही उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वीडियो ने बढ़ाई घटनाक्रम की सच्चाई
इस दुखद घटना का एक लाइव वीडियो भी सामने आया है, जिसमें युवती डांस करते हुए अचानक गिरते हुए दिखाई देती हैं। वीडियो ने घटनाक्रम को और भी ज्यादा संवेदनशील बना दिया, क्योंकि यह साबित करता है कि जीवन के किसी भी पल में कुछ भी हो सकता है। यह वीडियो इस बात को भी प्रमाणित करता है कि मौत का कोई समय और स्थान नहीं होता है, और कभी भी किसी को भी यह आ सकता है।
ध्वनि का असर और हार्ट अटैक की संभावना
इस घटना के बाद, जेपी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ सुधीर जैन ने वन इंडिया हिंदी को बताया कि आजकल के संगीत कार्यक्रमों में ध्वनि की तीव्रता बहुत अधिक बढ़ा दी जाती है, जिससे लोगों के दिलों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। जब साउंड का बेस बढ़ाया जाता है, तो उसकी धमक सीधे दिल पर पड़ती है। इस प्रकार की अधिक ध्वनि (लो फ्रीक्वेंसी साउंड) से दिल की धड़कन प्रभावित हो सकती है और इससे दिल के दौरे (हार्ट अटैक) का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे होती है ध्वनि का असर?
ध्वनि की अत्यधिक तीव्रता से शरीर पर तनाव बढ़ सकता है, विशेषकर हृदय प्रणाली पर। अत्यधिक शोर या धमाका, जैसे कि डांस फ्लोर पर तेज संगीत या डीजे की आवाज़, शरीर में उत्तेजना पैदा कर सकती है, जो कभी-कभी दिल के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसके कारण शरीर में रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा पैदा हो जाता है।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद सांची पुलिस ने कहा कि उनके पास अभी तक इस मामले को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है। पुलिस का मानना है कि शायद परिजन मृतिका को विदिशा ले गए होंगे, क्योंकि अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया था और कुछ समय बाद परिवार के लोग उसे अस्पताल से ले गए थे।
शादी की खुशियों में छाया गम
यह घटना उस समय घटी जब परिवार में शादी की खुशियां मनाई जा रही थीं। परिणीता का अचानक इस तरह से निधन शादी की खुशियों को ग़म में बदल गया। रिश्तेदारों और परिवार के लोगों के लिए यह समय बेहद कठिन साबित हुआ, क्योंकि शादी के मौके पर एक अनहोनी ने सबकी खुशियों को ग्रहण लगा दिया।
नतीजा और संदेश
यह घटना एक कड़ी चेतावनी है कि जीवन में कभी भी कुछ भी हो सकता है। दिल का दौरा जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकट का पता पहले से नहीं चलता और यह किसी भी समय आ सकता है, चाहे वह कोई भी हो, किसी भी स्थान पर हो। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम अपनी सेहत पर ध्यान दें और जरूरी जांच कराते रहें ताकि ऐसे अनहोनी घटनाओं से बचा जा सके। यह घटना एक ओर बात को भी स्पष्ट करती है कि हमें जीवन की अनिश्चितता को समझना होगा और हर पल को पूरी तरह से जीने की कोशिश करनी होगी।
हार्ट अटैक के दौरान ‘गोल्डन टाइम’ और सीपीआर के महत्व पर डॉ सुधीर जैन का अहम बयान
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) एक जीवन को संकट में डालने वाली गंभीर स्थिति है, लेकिन अगर समय रहते सही इलाज और प्राथमिक चिकित्सा की जाए, तो इसका असर काफी हद तक कम किया जा सकता है। जेपी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. सुधीर जैन ने इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक की स्थिति में ‘गोल्डन टाइम’ बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह वह समय है जब दिल का दौरा पड़ने के बाद के पहले 60 मिनट होते हैं, और इस दौरान तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करना जीवन बचाने में मददगार साबित हो सकता है।
गोल्डन टाइम और उसकी अहमियत
डॉ सुधीर जैन के अनुसार, जब दिल का दौरा (हार्ट अटैक) होता है, तो तुरंत मेडिकल सहायता मिलना बेहद जरूरी होता है। इसे “गोल्डन टाइम” कहा जाता है, क्योंकि इस समय के भीतर मरीज को यदि चिकित्सा सहायता मिलती है, तो उसकी जान बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इस दौरान दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है, जिससे अगर इलाज में देरी होती है तो दिल के ऊतकों में permanent क्षति हो सकती है।