Breaking Newsअन्य खबरेंभोपाल

भोपाल में होगा ई-बसों का संचालन, बीसीएलएल में हुई गड़बड़ी की जांच होगी

भोपाल में होगा ई-बसों का संचालन, बीसीएलएल में हुई गड़बड़ी की जांच होगी

भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल का विस्तार हो रहा है। कई कालेज, अस्पताल और औद्योगिक इकाइयां शहर से दूर हैं। यहां हजारों विद्यार्थी और मजदूरों का आना-जाना होता है पर आवागमन के साधन सुदृढ़ नहीं हैं।

भोपाल को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाया जा रहा है, इसलिए जो नई ई-बसों का संचालन होने वाला है, उन्हें यहां चलाया जाए। यह मांग भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने सोमवार को सदन में उठाई। इस पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आश्वासन दिया कि परिवहन विभाग के सहयोग से कार्य योजना बनाई जाएगी। बीसीएलएल के बसों के संचालन में अनियमितता की जांच कराई जाएगी।
भाजपा विधायक ने कहा कि सीहोर, मंडीदीप, राजगढ़ पीलूखेड़ी, बैरसिया, सांची, भोजपुर जैसी जगहों पर बसें नहीं जा रही हैं। भारत सरकार द्वारा जो 100 ई-पीएम इलेक्ट्रिक बसें दी जा रही हैं, यह यातायात में सुधार का काम करेंगी लेकिन इनका संचालन पहले जैसे हुआ, वैसा न हो। इसमें थोड़ा सुधार की व्यवस्था की जाए।
मप्र में वक्फ के अधिपत्य में 52,752 एकड़ भूमि

एक प्रश्न के उत्तर में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने बताया कि पूरे प्रदेश में वक्फ बोर्ड के अधिपत्य में 52 हजार 752 एकड़ भूमि है।

शाजापुर जिले में वर्ष 1990 की स्थिति में 4 ,503 एकड़ और वर्तमान की स्थिति में 4, 507 एकड़ भूमि है।

जो आठ संपत्तियां बढ़ी हैं, वह शाजापुर जिले में प्रचलित वक्फ एक्ट के प्रविधान के अंतर्गत वर्ष 1994 में पंजीकृत हुई थीं।

इनमें पांच निजी भूमि और तीन संपत्तियां शासकीय भूमि पर हैं। वक्फ बोर्ड की भूमि के संबंध में वक्फ अधिकरण न्यायालय भोपाल में 2017 से 2024 तक के 11 प्रकरण पंजीकृत हुए हैं। अतिक्रमण के पांच प्रकरण वर्ष 2021 से लंबित हैं। –

गुजरात में कोई जाति अनुसूचित जनजाति में हो तो जरूरी नहीं

मप्र में भी होनायक जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने का विषय भी सोमवार को सदन में उठा।

कांग्रेस विधायक महेश पटेल ने गुजरात में इस जाति के अनुसूचित जनजाति में होने की बात उठाते हुए प्रदेश में भी ओबीसी के स्थान पर अनुसूचित जनजाति में इन्हें शामिल किए जाने की बात रखी।

इस पर पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि हम इस बात की तुलना नहीं कर सकते कि गुजरात में यह जाति अगर अनुसूचित जनजाति में है तो मध्य प्रदेश में भी हो।

वर्ष 1984 में रामजी महाजन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नायक जाति को पिछड़ा वर्ग अनुसूची के क्रमांक चार पर जाति उपजाति बंजारा, बंजारी, मथुरा, नायकड़ा, धुरिया, लभाना, लबाना, लामने के साथ शामिल किया गया था।

इस जाति के लोगों को अगर अनुसूचित जनजाति में शामिल होना है तो उसमें उनको प्रयास करने पड़ेंगे। इसके लिए जाति समूह के प्रस्ताव को मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जनजातीय आयोग को देना पड़ेगा।

वह प्रस्ताव पर ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट से अभिमत प्राप्त करेगा, जो सर्वे पर आधारित होगा। इसके आधार पर आयोग अपनी अनुशंसा के साथ राज्य और भारत सरकार को भेजेगा।

Related Articles

Back to top button