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कोरोना से देश के हालात गंभीर, मनमोहन सिंह ने वाइरस से लड़ने के लिए पीएम मोदी को दिए ये 5 अहम सुझाव!

कोरोना संक्रमण का कहर देश में दिन पर दिन बढ़ता ही चला जा रहा है। दुनिया में इस वक्त कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश भारत ही है।  देश में कोरोना के नए मामलें रोजाना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। हेल्थ सिस्टम का भी हाल बेहाल होता चला जा रहा है। मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। अधिकतर अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे। इसके अलावा ऑक्सीजन और रेमिडिसिविर दवाई की शॉर्टेज की खबरें भी लगातार सामने आ रही हैं।

कोरोना के इस बढ़ते कहर से सरकार से लेकर आम जनता तक हर किसी को परेशान कर दिया। देश के बिगड़ते हुए हालातों पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी चिंता जाहिर की। इसके साथ ही उन्होनें पीएम मोदी को इस वायरस से लड़ने के कुछ सुझाव एक चिट्ठी के जरिए दी। इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह ने वैक्सीनेशन को कोरोना से लड़ने का एक बड़ा हथियार बताया।

दरअसल, CWC की बैठक में चर्चा के दौरान जो सुझाव मिले, मनमोहन सिंह ने उनको इकट्ठा किया और पीएम मोदी को ये सुझाव एक चिट्ठी के जरिए भेजे। इसमें उन्होनें प्रधानमंत्री से वैक्सीनेशन तेज करने की अपील की। चिट्ठी में कोरोना से हो रहे नुकसान का जिक्र करते हुए पूर्व रीएम ने 5 सुझाव भी दिए। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मनमोहन सिंह की पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी को ट्वीट किया।

दिए ये 5 सुझाव…

– पीएम को भेजी गई इस चिट्ठी में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार को ये बताना चाहिए कि उन्होंने किस वैक्सीन निर्माता कंपनी से अगले 6 महीनों के लिए  कितनी वैक्सीन की डोज का ऑर्डर दिया गया है। उनका कहना है कि अगर हम इन 6 महीनों में तय संख्या के लोगों को टीका लगाएंगे, तो हमें पर्याप्त डोज का ऑर्डर देने की जरूरत है, जिससे समय पर ये हमको उपलब्‍ध हो सकें।

– मनमोहन सिंह ने दूसरा सुझाव ये दिया कि सरकार को ये भी बताना चाहिए कि कोरोना वैक्‍सीन की डोज को किस तरह पारदर्शी तरीके से राज्‍यों को वितरित की जाएगी। केंद्र 10 फीसदी इमरजेंसी के लिए रख सकती है, लेकिन बाकी का राज्यों को साफ सिग्नल मिले जिससे वो उस तरह टीकाकरण की योजना बना सकें।

– तीसरा सुझाव चिट्ठी के लिए पूर्व पीएम ने ये दिया कि राज्यों को फ्रंटलाइन वर्कर्स तय करने की छूट दी जानी चाहिए। जिससे जरूरी सेवाओं में जुड़े उन लोगों का भी टीकाकरण हो जाएं, जो 45 साल से कम उम्र के हो। उदाहण के लिए जैसे कोई राज्य स्कूल टीचर, बस, ट्री व्हीलर और टैक्सी ड्राइवर, मुनस्पिल और पंचायत स्टाफ या फिर वकील जो फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर कोर्ट जाए उनको वैक्सीन लगाना चाहती हो, जिनकी उम्र 45 से कम हो।

– चौथा सुझाव देते हुए मनमोहन सिंह ने ये कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश बनकर उभरा, जो सराहनीय है। सरकार को वैक्सीन निर्माता कंपनियों को जरूरी फंड और अन्य मदद मुहैया करानी चाहिए, जिससे वैक्सीन उत्पादन की संख्या बढ़े। उन्‍होंने कहा है कि इस समय कानून में जरूरी लाइसेंसिंग प्रावधान लाने चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां लाइसेंस के तहत वैक्‍सीन उत्‍पादन कर सकें।

– आखिरी सुझाव पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ये दिया कि देश में वैक्सीन का सप्लाई अभी सीमित है। ऐसे में अगर दुनिया में कोई विश्वसनीय अथॉरिटी किसी वैक्सीन को हरी झंडी देती है, तो हमें उस वैक्सीन का आयात करना चाहिए। ऐसा हम भारत में बिना उसके ट्रायल के भी कर सकते हैं। भारत में इस वक्त इमरजेंसी है। ऐसे में वैक्सीन के इस्‍तेमाल के समय ही साथ ही साथ उसका ट्रायल भी किया जा सकता है।

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