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सुल्तानिया शिफ्टिंग का असर:हमीदिया की एसएनसीयू में नवजातों की मौत का आंकड़ा 30 से घटकर 12 प्रतिशत हुआ

सुल्तानिया शिफ्टिंग का असर:हमीदिया की एसएनसीयू में नवजातों की मौत का आंकड़ा 30 से घटकर 12 प्रतिशत हुआ

हमीदिया अस्पताल के ऑब्सगायनी डिपार्टमेंट में पैदा होने वाले गंभीर नवजात बच्चों की मौत के आंकड़ों में चौंकाने वाला सुधार हुआ है। पिछले साल फरवरी में 30.37% नवजातों की मौत हुई थी। जबकि, इस साल फरवरी में 12.10% नवजातों की मौत हुई है। यह सुधार सुल्तानिया जनाना अस्पताल की शिफ्टिंग हमीदिया परिसर में होने के बाद आया है।

दरअसल सुल्तानिया में गंभीर हालत में जन्में नवजात को हमीदिया के एसएनसीयू तक पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा लगता था। लेकिन, अब 10 मिनट में नवजात को एसएनसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू हो जाता है। माना जा रहा है कि क्रिटिकल टाइम में ट्रीटमेंट तत्काल मिलने से नवजातों की मौत के आंकड़े में गिरावट आई है।

दरअसल, सुल्तानिया अस्पताल और हमीदिया अस्पताल के बीच करीब डेढ़ किलो मीटर की दूरी है। इन अस्पतालों के बीच रास्तों पर भारी ट्रैफिक भी रहता है। ऐसे में जब नवजात को एसएनसीयू में भर्ती करना हाेता था, तो परिजनों को बच्चे को सुल्तानिया से लेकर हमीदिया जाने में एक से डेढ़ घंटा लगता था। ऐसे में कई बार नवजातों की मौत रास्ते में ही तो कई बार एसएनसीयू में इलाज के दौरान हो जाती थी। चार महीने पहले सुल्तानिया की शिफ्टिंग हमीदिया परिसर की नई बिल्डिंग में होने से जरूरत होने पर तत्काल नवजातों को एसएनसीयू में शिफ्ट करके इलाज शुरू कर दिया जाता है।

इसलिए बढ़ रहे नवजात: हमीदिया के एसएनसीयू में भर्ती होने वाले नवजातों की संख्या में बीते साल फरवरी में 247 थी, जो फरवरी में 351 हो गई। यानी 41.10% इजाफा। सूत्रों की मानें तो पहले सुल्तानिया से रैफर होने वाले नवजात को कई परिजन हमीदिया की बजाय अन्य अस्पताल ले जाते थे।

सुल्तानिया अस्पताल दूर था तो ट्रांसपोर्टेशन में समय लगता है। ऑब्सगायनी और पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट एक ही बिल्डिंग में ऊपर-नीचे हैं, तो समय नहीं लगता है। इसी वजह से नवजातों की डेथ में कमी आई है। -डॉ. आशीष गोहिया, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल

नवजात बढ़े और परफॉर्मेंस सुधरी
सामान्य तौर पर देखा जाता है कि किसी भी यूनिट में मरीजों की संख्या बढ़े तो परफार्मेंस में गिरावट आती है। लेकिन, यहां उल्टा ट्रेंड देखने को मिल रहा है। तीन महीनों का डाटा एनालिसिस करने पर पता चलता है कि बीते साल के मुकाबले इस बार एसएनसीयू में शिफ्ट होने वाले मरीजों की संख्या में 140.50% का इजाफा हुआ है। यानी स्टाफ और सिस्टम पर काम का दबाव बढ़ा, बावजूद इसके डैथ रेट में कमी हुई है। यानी फरफॉर्मेस में खासा सुधार हुआ है।

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