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विश्व हिंदी दिवस कार्यक्रम में विदेश राज्‍य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी का संबोधन

विश्व हिंदी दिवस कार्यक्रम में विदेश राज्‍य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी का संबोधन

विदेश मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में हुए आयोजन को दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू भवन में आयोजित किया गया,वही विश्व हिंदी दिवस समारोह अवसर पर पुरस्कृत किया गया। यह पुरस्कार भोपाल पासपोर्ट कार्यालय को राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए माननीया विदेश राज्यमंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी जी द्वारा प्रदान किया गया। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी शितांशु चौरसिया एवं उनके पीए वरुण चौधरी ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। साथ ही शितांशु चौरसिया ने इस अवसर पर कार्यालय के हिंदी से जुड़े अधिकारियों की विशेष प्रशंसा की, पुरस्कार स्वरूप एक स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

राज्‍य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी का संबोधन
मैं यह जानकारी भी पासपोर्ट अधिकारियों के साथ साझा करना चाहूंगी कि विश्व हिंदी दिवस पर इस साल से तीन उत्कृष्ट हिंदी पत्रिकाओं को भी पुरस्कृत करने की योजना शुरू की गई है और मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि इस साल भोपाल की पत्रिका ‘क्षितिज’, रांची की पत्रिका ‘सरिता’ और कोझिकोड की हिंदी पत्रिका ‘नियति’ को उत्कृष्ट पत्रिका के रूप में चयन किया गया है। अतः इन पासपोर्ट अधिकारियों को इस सफलता के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। साथ ही सभी पासपोर्ट अधिकारियों को बधाई देना चाहूंगी कि वे अपने कार्यालयों में राजभाषा हिंदी में कार्य करने के साथ-साथ हिंदी पत्रिकाओं का प्रकाशन भी कर रहे हैं।

आज विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर मैं यह कहना चाहूंगी कि हिंदी के प्रचार-प्रसार में भारतीय लेखकों के साथ-साथ विदेशी लेखकों, शोधकर्ताओं, भारतीय सिनेमा तथा अधिकारियों का भी योगदान बहुत अधिक है। हिंदी सिर्फ सरकारी भाषा नहीं है, यह मन की भाषा है। हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, जिनकी पुण्यतिथि अभी कुछ दिन पहले ही 6 जनवरी को थी, कई दशक पूर्व ही अपनी मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था-

”निज भाषा उन्नति अहे, सब भाषा को मूल,
निज भाषा उन्नति बिना मिटे न हिय की शूल”

हिय की शूल यानी जो अपने मन में हीन भाव हैं उसको दूर करने के लिए हमें देशभाषा, मातृभाषा की उन्नती की मूल धारा को विसर्जित करना होगा। इस मूल मंत्र को हम अपने दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास करें। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यही होना चाहिए।

मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में और माननीय विदेश मंत्री जी के मार्गदर्शन में हम हिंदी को वैश्विक पटल पर उसका उचित स्थान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
जय हिंद !

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