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लोकसभा चुनाव में लेनदेन:904 पेज की रिपोर्ट मंत्रालय पहुंची, 4 पुलिस अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी


लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के लेनदेन मामले में 904 पेज की रिपोर्ट शुक्रवार शाम को मंत्रालय पहुंच गई है। यह रिपोर्ट 4 वॉल्यूम में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने तैयार कर चुनाव आयोग को सौंपी थी। यह सीलबंद रिपोर्ट गुरुवार को आयोग के दो अफसरों ने दिल्ली से आकर मप्र में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीरा राणा को सौंपी थी। अब यह रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को मिली गई है।
इसकी पुष्टि करते हुए संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी धरणेंद्र कुमार जैन ने बताया कि आयोग से प्राप्त रिपोर्ट आगामी कार्रवाई के लिए शासन को भेज दी गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर एडीजी रैंक के आईएएस अफसर सुशोभन बनर्जी, वी मधु कुमार, संजय माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी है। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक दिन पहले ही कहा था कि आयोग से रिपोर्ट मिलने के बाद तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि जिन पुलिस अफसरों का नाम रिपोर्ट में आया है, उनके खिलाफ मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 और उपधारा के तहत भ्रष्टाचार,पद के दुरुपयोग सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज होगा। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) को रिपोर्ट के आधार पर चारों अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखेगा। इसके अलावा गृह विभाग भी इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने तीनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भी भेजा है।
बता दें कि अप्रैल 2019 में आयकर विभाग ने भोपाल, इंदौर और दिल्ली में 52 स्थानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के पूर्व सलाहकार आरके मिगलानी, ओएसडी प्रवीण कक्कड़, इंदौर के हवाला कारोबारी ललित कुमार छजलानी, एनजीओ से जुड़े अश्विनी शर्मा, प्रतीक जोशी और हिमांशु शर्मा के ठिकानों पर कार्यवाही हुई थी।
रिपोर्ट में ट्रांसफर-पोस्टिंग में लेनदेन के सबूत
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सहयोगियों सहित अन्य व्यक्तियों के यहां लोकसभा चुनाव से पहले पड़े आयकर विभाग के छापे की रिपोर्ट में ट्रांसफर और पोस्टिंग में लेनदेन के सबूत हैं। इसमें गैर सरकारी व्यक्तियों के शामिल होने के प्रमाण भी दिए गए हैं। इनके विरुद्ध भी प्रकरण दर्ज किए जा सकते हैं।

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